परेशान आदिवासियों ने कलेक्ट्रेट पर किया सत्याग्रह

-आश्वासन के बाद नहीं मिला हक तो फिर पहुंचे मुख्यालय
-डिप्टी कलेक्टर ने कहा 15 दिन में होगा सीमांकन, मिलेगा हक

शिवपुरी मध्यप्रदेश 
दो दिन पहले मिले सरकारी साहबों के आश्वासन के बाद आज जब तहसीलदार आदिवासियों को उनका हक दिलाने गांव नहीं पहुंचे तो आज पूरे गांव  के आदिवासी ईधन पानी और रजाई गद्दे लेकर कलेक्टर कार्यालय पर पहुंच गये गांव से पैदल मार्च कर जिला कलेक्टर कार्यालय तक ये आदिवासी हक और अधिकार के साथ सहरिया क्रांति जिन्दाबाद के गगनभेदी नारे लगाते पहुंचे, जिला कलेक्टर कार्यालय पर इस दौरान भारी पुलिसबल मौजूद रहा। देर डिप्टी कलेक्टर सिन्डोस्कर के आश्वासन के बाद आदिवासियों ने घर वापसी की राह पकड़ी, इस दौरान आदिवासियों ने कलेक्टोरेट प्रांगण के अंदर ही चूल्हे बनाकर खाना पकाया और वहीं खाया।
जिला कलेक्टर के नाम आवेदन लेकर आये सहरिया आदिवासियों ने बताया कि जिले में हम गरीब आदिवासी असुनवाई का शिकार हो रहे हैं, अपनी मेहनत की गाड़ी कमाई के पैसों से अक्सर जिला मुख्यालय आकर अपने शिकायत आवेदन देते हैं लेकिन अफसर हमें निराकरण का आश्वासन देकर भगा देते हैं उसके बाद आवेदन को रद्दी की टोकरी में फेंक देते हैं, जिससे हमारे आवेदनों पर कोई कार्यवाही न हो पाने से हमें न्याय व हक नहीं मिल पाता व हम उसी बदहाल जीवन को जीने का श्राप भोगते रहते हैं।
आदिवासी आज दोबारा आवेदन के साथ पूरे मोहम्मदपुर गांव के साथ सभी सहरिया आदिवासी परिवार आपके समक्ष उपस्थित हैं एवं आवेदन का त्वरित निराकरण होने की उम्मीद रखते हैं। 
कलेक्टोरेट पहुंचे आदिवासी ने बताया कि वे सभी शिवपुरी विकासखण्ड की ग्राम पंचायत खुटैला अंर्तगत आने वाले मोहम्मदपुर गांव के अति गरीब सहरिया जनजाति के लोग हैं जो अब से लगभग 2 वर्ष पूर्व तक गांव के दबंग व कथित साहूकार के यहां बंधुआ मजदूरी कर गुलामों से बदतर जिन्दगी जीने को विवष थे, हमारे जीवन व जीवन साधनों पर दबंग शेरा व उसके पूर्वजों का एकाधिकार था। सभी आदिवासी खुली हवा में सांस तक नहीं ले पा रहे थे, इसी बीच हम सभी आदिवासी सहरिया क्रांति संगठन से जुड़े बंधुआ मजदूरी से मुक्त हो सके।
आदिवासियों ने बताया कि हम सभी आदिवासी तो दबंग के चंगुल से मुक्त हो गयें किन्तु हमारे खाते और पट्टो की जमीन व मकानों पर आज भी उसी दबंग का कब्जा बरकरार है। आदिवासी जब भी वहां जाते हैं तो दबंग और उसका परिवार हवाई फायर कर हमें डराकर भागने पर विवश कर देते हैं।
आदिवासियों ने लिखित शिकायत में बताया कि स्कूल में उक्त दबंग का अघोषित फरमान है कि सहरिया आदिवासियों के बच्चों को किसी भी शिक्षक ने शिक्षित किया तो उसकी खैर नहीं, हमारे बच्चे शिक्षा में भेदभाव के कारण पुस्तक तक नहीं बांच पाते वे केवल कागजों में ही शिक्षा का अधिकार सुनते आ रहे हैं और बच्चों का भविश्य अंधकारमय हो रहा है। 
यह कि हम सहरिया आदिवासी 2003 से गडरोली में जिस जमीन को जोतकर एवं टपरियां बनाकर रह रहे हैं उससे भी हमें बेदखल करने की चाल चली जा रही है, वन अधिकारी आये दिन शेरा सरदार के प्रभाव में आकर हमें डराकर हमारी टपरिया जलाने एवं जेल में ठूसने की धमकी देते हैं। 
इस आशय की शिकायत अनेक बार प्रशासन से की लेकिन हमें आश्वासन तो मिला मगर मौके पर न तो कब्जा मिला न ही दबंगों पर कार्यवाही हुई जिससें हम दुर्दशा के साथ जीवन जी रहे हैं एवं हर अधिकार से वंचित बने हुये हैं । 
आदिवासियों ने माँग की कि गडरोली की भूमि पर वनाधिकार एवं आवासीय पटटे प्रदान किए जावें साथ ही हमारे गांव के जिन लोगों को पूर्व में  शासन ने पट्टे प्रदान किये हैं उन पर कब्जा दिलाया जावे, जिससे हम जिन्दा रह सकें।
ये हैं आदिवासियों की प्रमुख माँगे-
1. शासन द्वारा आदिवासियों को मिले पटटों से दबंगों का कब्जा हटवाकर अविलम्ब काबिज कराया जावे, इसके बाद पूरे जिले में अभियान चलाकर आदिवासियों की जमीनो से दबंगों के कब्जे मुक्त करााये जावें
2. मोहम्मदपुर में हमारे बने हुये 32 मकानों को दबंग शेरा व उसके परिवार से मुक्त कराया जावे।
3. गडरोली में स्थित भूमि जिस पर हम आदिवासी 2003 से टपरियां बनाकर रह रहे हैं व खेती कर रहे हैं उस पर वनाधिकार व आवासीय पटटे प्रदान कियें जावें।
3. विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था दुरस्त की जावे।
5. सहरिया आदिवासियों के हितार्थ संचालित शासकीय योजनाओं की नियमित मोनीटंिरंग की जावे।
6. राशनकार्ड गिरवी रखने वाले रैकिट पर कार्यवाही की जावे ताकि गरीब की मजबूरी का कोई फायदा न उठा सके।
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देवगीतों के साथ किया देवताओं का आव्हान, और सिर में आई मैया
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आज कलेक्टोरेट पर न्याय की माँग के लिए पहुंचे आदिवासियों की माँग पर डिप्टी कलेक्टर ने घोषणा की, इसी बीच आदिवासियों के समूह ने देवताओं का आव्हान किया जिस पर एक महिला के सिर में लोड़ी मैया और पुरुष के सिर में बलारी मैया आ गईं, उसके बाद पूरे कलेक्टोरेट में माँ के जयकारे गूंजने लगे। आदिवासियों ने मैया से पूछा कि साहब जो कह रहो है वो सही है क्या, न्याय मिलेगो तो मैयां बोलीं जो भी आदिवासियन से छल करेगो वाको बुरो हाल होगो, मैया ने कहा मोहलत दे दो तब जाकर आदिवासियों ने कलेक्टर की चौखट छोड़ी। जब माँ की सवारी आ रही तभी प्रशासन के बीच सनाका से खिंच गया और प्रशासनिक अधिकारी हक्के बक्के नजर आए। कुछ अधिकारी तो वीडियो बनाने में ही तल्लीन दिखाई तो कुछ न हाथ जोड़कर प्रार्थना की मुद्रा धारण कर ली।
 

Source : Agency

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Name: धीरज मिश्रा (संपादक)

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